Captain Vikram Batra News– आज कारगिल विजय दिवस है और यह दिन हार साल 26 जुलाई को मनाया जाता है. 26 जुलाई 1999 में भारतीय सेना ने पकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल की थी. भारत की इस जीत को आज पुरे 22 साल हो चुक्के है. 1999 के कारगिल युद्ध के हीरो केप्टन विक्रम बत्रा के उस जज्बे और साहस को आज भी लोग याद करते है.
आज हम आपको शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़ा एक दिल छु लेने वाला किस्सा बताने जा रहे है. उन्हें न केवल देश के लिए उनके मर मिटने वाले जज्बे की वजह से याद किया जाता है बल्कि उनकी प्रेमिका डिंपल चीमा के लिए उनके बेमिसाल प्यार की वजह से भी. साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा 16 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मन से लड़ते हुए शहीद हो गए थे. डिंपल चीमा और विक्रम बत्रा पहली बार चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में 1995 में मिले थे. दोनों ने इंग्लिश में एमए में एडमिशन लिया था लेकिन दोनों ही उसे पूरा नहीं कर पाए.

न्यूज साइट द क्विंट से बातचीत में डिंपल बताती हैं कि किस्मत ने दोनों को पास लाने में अहम भूमिका निभाई थी. शहीद मेजर विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड डिंपल चीमा ने एक पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू के बारे में बताया था, के कारगिल युद्ध पर जाने से पहले वो विक्रम बत्रा से मिली थी. दोनों गुरुदारे में निसान साहेब की परिकर्मा कर रहे थे. वो आगे थी और उनके पीछे विक्रम बत्रा चल रहे थे. जैसे ही परिकर्मा पूरी हुई विक्रम ने उनका दुप्पट्टा पकड़ा और कहा बधाई हो मिसेज बत्रा. फिर एक बार जब डिंपल विक्रम से मिली तो उन्होंने शादी का जिक्र किया. तभी विक्रम ने अपने वॉलेट में रखी बलेड को निकाला और अपने अंगूठे पर चला दिया. और अंगूठे से खून बहने लगा तभी विक्रम ने अपने खून से उनकी मांग भर दी थी. दोनों ने तय किया के कारगिल से लोटने के बाद दोनों शादी कर लेंगे.

लेकिन नियति ने इस प्रेम कहानी को पूरा नहीं होने दिया. कैप्टन विक्रम बत्रा जब कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए तब उनकी उम्र 25 साल थी. माता-पिता उनकी शादी की तैयारी कर रहे थे. लेकिन कैप्टन विक्रम बत्रा तिरंगे के कफन में लिपटकर वापस आए. कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत के बाद उनकी प्रेमिका उन्हें अंतिम विदाई देने पालमपुर आईं. यहीं पर कैप्टन विक्रम बत्रा के माता-पिता ने पहली बार उस लड़की से मुलाकात की और यहीं पर उस लड़की ने अपना फैसला सुना दिया कि वो विक्रम बत्रा की शहादत के बाद अब किसी और के साथ शादी नहीं करेगी. महज 22 साल की उम्र की लड़की के लिए सारा जीवन अकेले काटने का फैसला आसान नहीं था.
कैप्टन विक्रम बत्रा की शेरदिली के आगे पाकिस्तानी फौजें भी अपना सिर झुकाती थीं. बताया जाता है कि पाकिस्तानी अपनी बातचीत में उनके लिए ‘शेरशाह’ कोड नेम का इस्तेमाल करते थे. 7 जुलाई 1999 को जब उनकी शहादत हुई उस समय उनकी डेल्टा कंपनी ने पॉइंट 5140 को जीत लिया था और पॉइंट 4750 और पॉइंट 4875 पर दुश्मन की पोस्ट को बर्बाद कर दिया था. दुश्मन की गोली लगने जान गंवाने से पहले उन्होंने तीन दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था. उनका नारा था ‘ये दिल मांगे मोर’ जो कि उस समय बहुत ज्यादा मशहूर हुआ था.