भारत में इंटरनेट शटडाउन 2023 में और लंबे, व्यापक और सामान्य हो गए

नई रिपोर्ट में खुलासा

एक्सेस नाउ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले साल सबसे अधिक प्लेटफार्मों को ब्लॉक करने का आदेश दिया।

भारत लगातार छठे वर्ष सबसे अधिक इंटरनेट शटडाउन दर्ज करने का रिकॉर्ड बनाए रखता है, लेकिन एक्सेस नाउ ने पाया कि ये शटडाउन अब और लंबे और अधिक व्यापक हो गए हैं।

बुधवार, 15 मई को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में, डिजिटल अधिकार समूह ने पाया कि 2023 में ही भारत के विभिन्न हिस्सों में इंटरनेट को ब्लॉक करने के 116 मामले सामने आए। यह आंकड़ा 2022 में भारत में लगाए गए इंटरनेट शटडाउन की संख्या (84) की तुलना में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

विस्तार से:

2023 में भारत में इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं अधिक व्यापक और अधिक सामान्य हो गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह शटडाउन कई दिनों तक चलने वाले हैं और इससे देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। खासकर, उन क्षेत्रों में जहां राजनीतिक अस्थिरता या सामाजिक अशांति का माहौल था, वहां इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं अधिक देखने को मिलीं।

एक्सेस नाउ ने बताया कि इन शटडाउन का मुख्य उद्देश्य अफवाहों और गलत जानकारी के प्रसार को रोकना था। हालांकि, इसके चलते आम जनता को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा। व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य:

भारत में इंटरनेट शटडाउन की यह स्थिति वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी चिंताजनक है। एक्सेस नाउ की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया भर में इंटरनेट शटडाउन के मामलों में भारत का योगदान सबसे अधिक है। इसने अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक शटडाउन लागू किए, जो कि डिजिटल अधिकारों के हनन की दिशा में एक गंभीर कदम है।

सरकार की प्रतिक्रिया:

भारत सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शटडाउन की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के कदम उठाने का उद्देश्य समाज में शांति और स्थिरता बनाए रखना है।

निष्कर्ष:

यह रिपोर्ट इंटरनेट शटडाउन के प्रभावों और इसकी बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है। इससे स्पष्ट होता है कि डिजिटल युग में भी इंटरनेट शटडाउन का उपयोग एक प्रभावी उपाय माना जा रहा है। हालांकि, इसके नकारात्मक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि ऐसे कदम उठाने से पहले सभी विकल्पों पर विचार किया जाए और आम जनता के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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