हनुमान चालीसा एक मात्र ऐसी चालीसा है जिसका जाप करने से बड़े सा बड़ा संकट भी चुटकियों में दूर हो जाता है। कई बार लोग भगवान को खुश करने के लिए कड़ी तपस्या करते है, लेकिन हम आपको बता दे की हनुमान चालीसा की इन चालीस लाइनों का जाप करने से भी भारी से भारी संकट भी आसानी से दूर हो सकता है। पुराने ज़माने से भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाए करे जाते थे , उन्हीं में से एक उपाए है हनुमान चालीसा जिसे आज के युग में सबसे ज्यादा पड़ा जाता है। कलयुग में हनुमान चालीसा को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता हैं, और इसका पाठ करने से बड़ी से बड़ी बलाएँ भी आसानी से टल जाती है। नीचे आपको हनुमान चालीसा की पवित्र चालीसा पड़ने को मिल जाएगी।
॥दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
॥चौपाई॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥
कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥
सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥
आपन तेज सह्मारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुह्मारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
राम रसायन तुह्मरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुह्मरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
॥दोहा॥
पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
ऐसा कहा जाता है की भगवान की सरल भाषा में करि जाने वाली आरती को ही हनुमान चालीसा कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है की हनुमान चालीसा करने से इंसान की ज़िंदगी पर काफी ज्यादा अधभुत प्रभाव पड़ता है, इसके अलावा इस प्राथना को चालीसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें चालीस लाईने जुड़ी होती है। सरल भाषा में होने के कारण इसको पड़ने में भी ज्यादा तकलीफ नहीं होती है, इसके अलावा सरलता से भगवान को खुश करने का यह सबसे आसान तरीका है। इस चालीसा को पड़ने के कोई सख्त नियम नहीं होते है ,, बस आपके दिल में श्रद्धा होनी चाहिए और मन में सच्चाई।
हिन्दू धरम के मुताबिक़ हनुमान जी को सदैव धरती पे रहने का वरदान मिला था, इसीलिए उन्हें सर्व शक्तिशाली कहा जाता है। आपको बता दे की हनुमान चालीसा को सभी चालीसा में सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है, जिसकी रचना तुलसीदास ने करि थी। आपको बता दे की हनुमान चालीसा के हर एक पंक्ति में शक्ति विराजमान है तभी इसका जाप करने से सभी बलाएँ टल जाती है।